अपनी भी दोस्ती ,कुछ रोज ज़माने से रही ।
जिंदगी ने देखा तबाही का मंजर ,वो भी अब आजमाने से रही ।
वो भी दिन थे ,जब तूफाँ से टकराये थे ।
बिखरे टूटे है ,पर अब हवा भी उड़ाने से रही ।
एक वक़्त था ,जब उनसे मोह्बत थी ।
अब भी है ,पर अब समां चिराग जलाने से रही ।
माँ ने ताकीद की थी ।
बहुत हुआ बेटा ,पर अब वो भी जगाने से रही ।
जिंदगी ने देखा तबाही का मंजर ,वो भी अब आजमाने से रही ।
वो भी दिन थे ,जब तूफाँ से टकराये थे ।
बिखरे टूटे है ,पर अब हवा भी उड़ाने से रही ।
एक वक़्त था ,जब उनसे मोह्बत थी ।
अब भी है ,पर अब समां चिराग जलाने से रही ।
माँ ने ताकीद की थी ।
बहुत हुआ बेटा ,पर अब वो भी जगाने से रही ।